पिथौरागढ़. आजादी के 70 दशक बाद उत्तराखंड में चीन और नेपाल से सटे इलाके जगमग होने जा रहे हैं. पिथौरागढ़ के व्यास, दारमा और जोहार घाटी के साथ ही चमोली और उत्तरकाशी के सैकड़ों गांवों को बिजली जोड़े जाने का प्लान तैयार हो गया है. इन इलाकों को बिजली से जोड़े जाने पर जहां पर्यटन बढ़ेगा वहीं सुरक्षा बलों को भी खासी राहत मिल सकेगी. पिथौरागढ़ में व्यास, दारमा और जोहार घाटियां हो या फिर चमोली का नीति और माणा इलाका या फिर उत्तराकाशी का चाइना से सटा हिस्सा. यहां सैकड़ों गांव बसे हैं.
जानकारी के अनुसार इंटरनेशनल बॉर्डर पर बसे इन गांवों तक रोड कटने के बाद अब जरूरी सुविधाएं जुटाने का काम हो रहा है. उच्च हिमालयी इलाकों में मौजूद ये इलाके साहसिक और धार्मिक पर्यटन के लिहाज से भी अहम हैं. ऐसे में चीन और नेपाल बॉर्डर पर बसी इन इलाकों को अब बिजली से जोड़ा जाना है. असल में केन्द्र ने इन इलाकों को पहले ही वाइब्रेंट विलेज में शामिल किया हैं, जिसके बाद इन इलाकों को बिजली से जोड़ने की कवायद शुरू हुई है. पिथौरागढ़ की डीएम रीना जोशी ने बताया कि टेंडर जारी किए जा चुके हैं. टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद यूपीसीएल काम शुरू कर देगा.
यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं
बॉर्डर के इन इलाकों में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं. असल में व्यास घाटी में जहां मानसरोवर यात्रा मार्ग है. वहीं ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती झील भी यहीं मौजूद हैं. जबकि दारमा घाटी में विश्व विख्यात पंचाचूली की चोटियां मौजूद हैं. वहीं जोहार घाटी की बात करें तो ये घाटी पूरी दुनिया में पर्वतारोहण के लिए विख्यात है. इऩ इलाकों में आम पर्यटकों के साथ ही साहसिक पर्यटक भी हर साल आतें हैं। ऐसे में तय है कि जरूरी सुविधाएं जुटने के बाद इनकी संख्या में खासा इजाफा भी होगा.
इतने रुपए होंगे खर्च
पिथौरागढ़ की व्यास घाटी तक बिजली पहुंचाने में 6 हजार 12 लाख रूपये खर्च होने हैं जबकि दारमा घाटी के लिए ये लागत 2 हजार 65 लाख है. वहीं जोहार घाटी को बिजली से जोड़ने में 4 हजार 5 सौ 84 लाख रूपये लगने हैं, जबकि चमोली और उत्तरकाशी के बार्डर इलाकों को 59-59 हजार लाख की लागत से बिजली ले जोड़ा जाना है. इसके लिए सर्वे का काम पहले ही पूरा हो चुका है.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 19:31 IST