सोनिया मिश्रा/ चमोली. देवभूमि उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए देश-दुनिया में मशहूर है. यहां के खूबसूरत पहाड़, झरने, नदियां, लंबे ट्रेकिंग रूट पर्यटकों को खूब पसंद आते हैं, जिसके लिए यहां समय-समय पर टूरिस्ट पहुंचते रहते हैं. उन्हीं खूबसूरत ट्रैक में से एक है सप्तकुण्ड ट्रैक, जो समुद्र तल से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस ट्रैक को पार करने के बाद पर्यटकों को एक साथ प्रकृति की गोद में मौजूद 7 कुंडों एक साथ देखने का मौका मिलता है.
चमोली जिले के जोशीमठ की निजमुला घाटी में झींझी गांव है, जहां से 24 किमी की दूरी तय करने के बाद सप्त कुंड या सात कुंडों के समूह तक पहुंचा जा सकता है. यह कुंड एक दूसरे से करीब आधे-आधे किमी की दूरी पर स्थित है, जो देखने में किसी जन्नत से कम नहीं है. इन सात तालों को ‘सप्तऋषि’ भी कहते हैं. यहां पहुंचने के लिए एशिया के सबसे कठिन पैदल ट्रैक को पार करना पड़ता है. हालांकि, साहसिक पर्यटन और पहाड़ घूमने के शौकीन लोगों के लिए सप्तकुंड एक रोमांचित कर देने वाला ट्रैक है.
7 किमी तक करनी पड़ती है खड़ी चढ़ाई
सप्तकुंड पहुंचने के लिए चमोली के पगना गांव तक सड़क सुविधा उपलब्ध है.पगना से झींझी गांव तक आठ किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. झींझी से सप्तकुंड के लिए 26 किमी का पैदल ट्रैक है. इसमें झींझी से 7 किमी दूर वन विभाग के टिन शेड तक एकदम खड़ी चढ़ाई है. इसके बाद 10 किमी के फासले पर गौंछाल गुफा पड़ता है. ट्रैक के सफर में जहां एक ओर खुला आसमान, खूबसूरत बुग्याल और रंग बिरंगे फूलों पर्यटकों को खूब भाते हैं, तो वहीं प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए तो प्रकृति का खूबसूरत खजाना है. झींझी गांव के निवासी मोहन नेगी कहते हैं कि जब यहां ट्रैकर्स पहुंचते हैं, तो उन्हें ट्रेकिंग के दौरान बांज, बुरांश, देवदार, कैल, खोरू, भोज जैसे तमाम प्रकार के पेड़ दिखाई देते हैं, जिसे देख टूरिस्ट काफी खुश दिखाई देते हैं.
6 कुंड में ठंडा और एक में है गर्म पानी
देवभूमि एडवेंचर एवं ट्रेकिंग के प्रबंधक और सप्तकुंड ट्रेकिंग कराने वाले युवा मनीष नेगी कहते हैं कि सप्तकुंड में मौजूद 7 झीलों में से 6 झीलों में बहुत ठंडा पानी है, जबकि एक झील में पानी काफी गर्म है. यहां स्नान करने के बाद शरीर की पूरी थकान दूर हो जाती है. सात कुंडों के नाम पार्वती कुंड, गणेश कुंड, शिव कुंड, नारद कुंड, नंदी कुंड, भैरव कुंड, शक्ति कुंड है. सप्तकुंड में पहुंचने के लिए एशिया के सबसे कठिन पैदल ट्रैक को पार करना पड़ता है और यही कारण है कि ट्रेकिंग शौकीनों के लिए यह किसी ऐशगाह से कम नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : February 18, 2024, 16:33 IST