Shree Stambhewshwar Mahadev Temple: स्तंभेश्वर महादेव का मंदिर गुजरात के भरूच जिले के कावी गांव के पास तट पर स्थित है. कोई भी व्यक्ति मंदिर के प्रांगण में बैठकर समुद्र की उठती लहरों को देखने का सौभाग्य प्राप्त कर सकता है. यहां से समुद्र सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर है. पानी का स्तर बढ़ने पर पूरा शिवलिंग समुद्र में डूब जाता है. जैसे-जैसे पानी धीरे-धीरे कम होता जाता है, एक अलौकिक दृश्य बनता है जैसे स्वयं भगवान शिव प्रकट हो रहे हों. महादेव के दर्शन के लिए समुद्र के पानी के कम होने तक का इंतजार करना पड़ता है. इस स्थान को “गुप्ततीर्थ” या “संगमतीर्थ” के नाम से भी जाना जाता है.
मंदिर का पौराणिक इतिहास
मंदिर से एक मिथक जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय स्वामी ने वर्षों पहले इसी स्थान पर असुर तारकासुर का वध किया था, लेकिन उसके बाद शिव भक्त ने तारकासुर को मारने के प्रायश्चित के रूप में एक शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां वर्षों तक तपस्या की.
महापुराण में स्तंभेश्वर महादेव के मंदिर का इतिहास
महापुराण के कुमारिका खंड में स्तंभेश्वर महादेव के मंदिर का 550 पन्नों का इतिहास है. विश्व के प्रमुख महादेव मंदिरों में स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भी शामिल है. भगवान केदारनाथ के बाद इस शिवलिंग की महिमा है.
यह 150 साल पुराना मंदिर माना जाता है.
समुद्र जल से शिवलिंग का अभिषेक होता है
स्तंभेश्वर मंदिर की खास बात यह है कि स्तंभेश्वर महादेव का शिवलिंग दिन में दो बार समुद्र में समा जाता है. समुद्र देवता दो बार शिवलिंग का अभिषेक करने आते हैं. 6 घंटे तक शिवलिंग समुद्र के पानी में रहता है, तो 6 घंटे वह पानी से बाहर.
लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़
महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है. श्रावण माह में 1 माह तक मेला लगता है. श्रावण मास, महाशिवरात्रि, अमास, सोमवार सहित अन्य दिनों में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 19, 2024, 16:42 IST