Friday, May 17, 2024

Janmashtami 2023 Krishna Janmashtami On 6 September Know Puja Vidhi…

Janmashtami 2023: हिन्दू धर्म में हर साल जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व बुधवार, 6 सितंबर 2023 को है. इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है जोकि बहुत ही दुर्लभ है. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था. 

 ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी का त्योहार बुधवार 6 सितंबर 2023 को जन्माष्टमी मनाया जाएगा. मान्यता है कि अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण की 5250 वीं जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस बार की जन्माष्टमी काफी महत्वपूर्ण होने वाली है. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. मान्यता है कि जन्माष्टमी पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और इसलिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं. पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि बुधवार 6 सितंबर को दोपहर 3:37 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 7 सितंबर को शाम 4:14 मिनट पर होगा. धर्म पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के समय रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसलिए इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन सुबह 9:20 मिनट पर रोहिणी नक्षण शुरू होगा जोकि अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 10:25 मिनट पर समाप्त होगा. बता दें कि जन्माष्टमी का त्योहार आमतौर पर दो दिन मनाया जाता है. गृहस्थ लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे और वैष्णव संप्रदाय में 7 सितंबर के कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाएगा.

जन्माष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2023 Shubh Muhurat)

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, जन्माष्टमी तिथि बुधवार 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03.37 बजे से शुरू होगी. ये तिथि 7 सितंबर 2023 के दिन शाम 04.14 बजे समाप्त होगी. वहीं, जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त रात्रि 12.02 बजे से लेकर 12.48 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना की जाती है. विधि-विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसी मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे. इस दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है.

जन्माष्टमी पूजा विधि (Janmashtami 2023 Puja Vidhi)

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारण व्रत की पूर्ति होती है. इस व्रत के एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए. व्रत वाले दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करें. पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं. हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें. मध्यान्ह के समय काले तिल का जल छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं. अब इस सूतिका गृह में सुंदर सा बिछौना बिछाकर उस पर कलश स्थापित करें. भगवान कृष्ण और माता देवकी जी की मूर्ति या सुंदर चित्र स्थापित करें. देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें. यह व्रत रात 12 बजे के बाद ही खोला जाता है. इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता. फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खा सकते हैं.

व्रत करने से मिलेगी पाप-कष्टों से मिलती है मुक्ति 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है. निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार, ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है, तो इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहिए. अगर आप इस तरह के संयोग में व्रत करते हैं तो 3 जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि, इस तिथि और संयोग में भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. व्यक्ति को भगवत कृपा की प्राप्ति होती है. जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहे हो इस तिथि में उनके लिए पूजन करने से उन्हे मुक्ति मिल जाती है. इस संयोग में भगवान कृष्ण के पूजन से सिद्धि की प्राप्ति होगी तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी.

जन्माष्टमी व्रत करना रहेगा खास

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, अगर आप भी इस जन्माष्टमी पर व्रत रखकर फायदे लेना चाहते हैं तो इस अवसर को हाथ से जाने न दें. जो लोग जन्माष्टमी का व्रत आरंभ करना चाह रहे हैं, उनके लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना बहुत ही उत्तम रहेगा. जो लोग पहले से जन्माष्टमी व्रत कर रहे हैं उनके लिए भी इस बार जन्माष्टमी का व्रत अति उत्तम रहेगा.

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