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दुनिया को हिला देने वाले कोरोना के दौर में खेलों की गतिविधियां भी पूरी तरह ठप हो गई थीं, लेकिन एक शतरंज एक ऐसा खेल रहा जो कोरोना काल में भी बंद नहीं हुआ। भारतीय शतंरज महासंघ के अध्यक्ष संजय कपूूर का मानना है प्रगनाननंदा और भारतीय युवा शतरंज खिलाडिय़ों की हालिया सफलता में कोरोना काल में खेली गई शतरंज और देश में हुए चेस ओलंपियाड का बड़ा हाथ है। कानपुर निवासी संजय के मुताबिक कोरोना काल के दौरान देश में चेस बोर्ड की बिक्री में चार सौ गुना बढ़ोतरी हुई। यह हैरानीजनक था।