Saturday, December 21, 2024

Neem Karoli Baba Died 1973 On Anant Chaturdashi Know Reason Of Neem…

Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा का उत्तराखंड स्थित कैंची धाम देश-विदेश में बहुत प्रसिद्ध है. मान्यता है कि, यहां नीम करोली बाबा की तपोस्थली पर श्रद्धाभाव जो कोई भी आता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है.

बाबा नीम करोली महाराज दिव्य पुरुष, महान योगीराज और हनुमान जी के परम भक्त थे. बाबा के अनुयायी तो उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं. बाबा के आश्रम में सिर्फ भारतीय नहीं बल्कि विदेशी भक्त भी दर्शन के लिए आते हैं और दिनोंदिन यहां की ख्याति बढ़ती ही जा रही है.

बाबा के जीवन से कई चमत्कार जुड़े हुए हैं. बाबा के भक्तों की सूची में आम जनमानस के साथ ही देश-विदेश की जानी-मानी हस्तियों का नाम शामिल है. कहा जाता है कि, बाबा के दर्शन के लिए पं. गोविंद वल्लभ पंत, डॉ सम्पूर्णानन्द, राष्ट्रपति वीवी गिरि, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरुप पाठक, राजा भद्री, जुगल किशोर बिड़ला, महाकवि सुमित्रानन्दन पन्त, अंग्रेज जनरल मकन्ना, देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु और अन्य लोग आते रहते थे. लेकिन आज से ठीक 50 साल पहले बाबा नीम करोली ने अपने शरीर का त्याग कर दिया. जानते हैं कब और कैसे हुई बाबा नीम करोली की मृत्यु.

अनंत चतुर्दशी के दिन से बाबा की मृत्यु का कनेक्शन

बाबा नीम करोली की पुण्यतिथि हर साल 11 सितंबर को मनाई जाती है. क्योंकि बाबा की मृत्यु 11 सितंबर 1973 को हुई. लेकिन आपको बता दें कि, बाबा ने जिस दिन अपने शरीर का त्याग किया था उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था. अनंत चतुर्दशी के दिन ही वृंदावन की पावन भूमि में नीम करोली बाबा ने अपने प्राण त्याग दिए.

कैसे हुई नीम करोली बाबा की मृत्यु

11 सितंबर 1973 की रात नीम करोली बाबा अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे. तभी अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाया लेकिन बाबा ने इसे लगाने से मना कर दिया. बाबा अपने भक्तों से बोले कि, अब मेरे जाने का समय आ गया है. उन्होंने भक्तों से तुलसी और गंगाजल मंगवाई. इसके बाद बाबा ने तुलसी और गंगाजल ग्रहण कर रात करीब 01:15 पर अपने शरीर का त्याग कर दिया.

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