Navratri 2023: उत्तर भारत और उत्तर पूर्व से लेकर देशभर में नवरात्रि का पावन त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें मां दुर्गा की पूजा होती है. इसलिए इस पर्व को दुर्गोसत्व या दुर्गा पूजा भी कहते हैं. इस साल नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से होने वाली है.
दुर्गा पूजा शुरू होने के कई महीने पहले से ही मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है. देशभर में कई पूजा पंडाल बनाए जाते हैं और यहां मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति के निर्माण के लिए वेश्याओं की आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है.
मां दुर्गा की मूर्ति के लिए ये 4 चीज है बेहद जरूरी
इतना ही नहीं, अगर मां दुर्गा की मूर्ति बनाते समय वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया गया हो तो, ऐसे में मूर्ति पूर्ण नहीं मानी जाती है. मान्यता है कि, मां दुर्गा की प्रतिमा को पूर्ण रूप से तैयार करने के लिए वैसे तो कई सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन इन चार चीजों को बहुत जरूरी माना गया है जोकि इस प्रकार हैं- गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी. मूर्ति बनाने में इन सामग्रियों के इस्तेमाल करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है. आइये जानते हैं इसके बारे में.
क्यों वेश्यालय के मिट्टी के बनती है मां दुर्गा की प्रतिमा
- वेश्यालय के मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने को लेकर कई मान्यताएं जुड़ी हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कुछ वेश्याएं गंगा स्नान के लिए जा रही थीं. तभी उन्होंने घाट पर एक कुष्ठ रोगी को बैठे हुए देखा. वह रोगी लोगों से गंगा स्नान करवाने के लिए कह रहा था. लेकिन आते जाते लोगों में किसी ने भी उसकी गुहार नहीं सुनी. इसके बाद वेश्याओं ने उस रोगी को गंगा स्नान करवाया. वह कुष्ठ रोगी और कोई नहीं बल्कि भगवान शिव थे. शिवजी वेश्याओं से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा. तब वेश्याओं ने कहा कि, हमारे आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा ना बन पाए. शिवजी ने वेश्याओं को यही वरदान दिया और तब से लेकर अबतक यह परंपरा चली आ रही है.
- वेश्यालय के आंगन से मां दुर्गा की मूर्ति बनाए जाने को लेकर एक अन्य मान्यता है कि, सबसे पहले मंदिर के पुजारी वेश्यालय के बाहर जाकर वेश्याओं से उनके आंगन की मिट्टी मांगकर लाते थे और इसके बाद मंदिर के लिए मूर्ति बनाई जाती थी. धीरे-धीरे यह परंपरा बढ़ती गई और दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की जो मूर्तियां बनाई जाती हैं, उसमें इसी मिट्टी का इस्तेमाल होने लगा.
- एक अन्य मान्यता यह भी है कि, जब कोई व्यक्ति वेश्यालय जाता है तब वह अपने पुण्य कर्म और पवित्रता को उसके द्वार पर ही छोड़कर भीतर जाता है. इसलिए उनके आंगन की मिट्टी को पवित्र माना जाता है. यही कारण है कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगने की मिट्टी लाई जाती.
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