Sunday, December 22, 2024

Major Dhyan chand: हिटलर के सामने जर्मनी को हराया पर तिरंगा न देख रो पड़े थे…


हॉकी के जादूगर ‘मेजर ध्यानचंद’
– फोटो : social media

विस्तार


भारत ने ओलंपिक में हॉकी के आठ स्वर्ण पदक जीते, लेकिन 1936 के बर्लिन ओलंपिक का स्वर्ण कुछ ज्यादा ही खास है। 1936 में 15 अगस्त के ही दिन भारत ने तानाशाह हिटलर के सामने दद्दा ध्यानचंद की अगुवाई में जर्मनी को 8-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। भारत स्वर्ण पदक जरूर जीता था, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज लहराता न देख दद्दा का मन अंदर ही अंदर दुखी था। हिटलर ने पदक विजेताओं को पार्टी दी थी, लेकिन दद्दा उसमें नहीं गए। वह खेल गांव में ही बैठ गए। उनकी आंखों में आंसू थे। जब टीम के एक साथी ने उनसे पूछा कि आज तो टीम जीती है तो फिर वह रो क्यों रहे हैं, इस पर दद्दा का जवाब था काश यहां यूनियन जैक (ब्रिटिश इंडिया का झंडा) की जगह तिरंगा होता तो उन्हें बेहद खुशी होती।

ब्रिटिश इंडिया का झंडा देखकर रो रहे थे

दद्दा के पुत्र 1975 के विश्वकप फाइनल में गोल करने वाले अर्जुन अवार्डी अशोक कुमार बताते हैं कि हिटलर के सामने जर्मनी को बुरी तरह हराना बड़ी बात थी। जर्मनी को जीत का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन दद्दा की टीम ने ऐसा नहीं होने दिया। अशोक के मुताबिक दद्दा हिटलर की पार्टी में नहीं गए और खेल गांव में जहां सभी देशों के झंडे लगे होते हैं, वहां जाकर बैठ गए। वहीं वह बार-बार ब्रिटिश इंडिया के झंडे को देखकर रो रहे थे। जब टीम के साथियों ने उनसे रोने का कारण पूछा तब उन्होंने बताया कि उन्होंने यह स्वर्ण अपने देश के लिए जीता है, लेकिन झंडा ब्रिटिश इंडिया का ऊंचा है। काश यहां तिरंगा होता।

लंदन ओलंपिक में जाने से किया था मना

अशोक बताते हैं कि देश के आजाद होने के बाद जब भारतीय टीम को लंदन ओलंपिक में खेलने के लिए जाना था, तब दद्दा की उम्र 43 वर्ष हो चुकी थी। बावजूद इसके उनसे टीम में खेलने के लिए पूछा गया, लेकिन दद्दा ने कहा कि अब युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने लंदन ओलंपिक में खेलने से इन्कार कर दिया था। हालांकि पूर्वी अफ्रीका ने 1948 में भारतीय टीम को अपने यहां खेलने का निमंत्रण दिया था, लेकिन साथ में यह भी कहा था कि इस टीम में ध्यानचंद हर हाल में होने चाहिए। तब दद्दा इस दौरे पर गए और 43 की उम्र में भी उन्होंने उस दौरे में 52 गोल किए।

भारत को एशियाड में रखना होगा ध्यान

अशोक कुमार का कहना है कि भारत ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जरूरी जीती है, लेकिन उसे यह जीत मलयेशिया से काफी संघर्ष के बाद मिली है। ऐसे में उन्हें हांगझोऊ एशियाई खेलों में विशेष ध्यान रखना होगा। भारत को एशियाई टीमें भी अच्छी चुनौती दे रही हैं। खासतौर पर मलयेशिया ने फाइनल में बेहतरीन खेल दिखाया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular