Jagadguru Kripalu Ji Maharaj Biography in Hindi: भारत के इतिहास में कई गुरु और जगद्गुरु हुए और हैं. लेकिन जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को ‘जगद्गुरुत्तम’ की उपाधि से विभूषित किया गया है. जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज देश नहीं बल्कि विश्वभर में प्रख्यात नाम हैं.
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज पहले ऐसे गुरु हैं, जिनके एक भी शिष्य नहीं है लेकिन लाखों अनुयायी हैं. जानते हैं जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के जन्म-मृत्यु, महिमा और प्रेम मंदिर के निर्माण की संपूर्ण जानकारी.
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का जन्म
जगद्गुरु कृपालु जी महाराज का जन्म 06 अक्टूबर 1922 को शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि में प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ में हुआ था. इनका पूरा नाम राम कृपालु त्रिपाठी था. इनके माता-पिता का नाम भगवती देवी और ललिता प्रसाद था.
कृपाजी जी महाराज ने हाई स्कूल से 7वीं तक की परीक्षा उत्तीर्ण की और इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए मध्य प्रदेश चले गए. मात्र 14 वर्ष की आयु में इन्होंने तृप्त ज्ञान को प्राप्त कर लिया. इसके बाद इनका विवाह हो गया और पत्नी से साथ ये अपना गृहस्थ जीवन बिताने लगे. कृपालु जी महाराज की पांच संतान हैं, जिसमें दो बेटे घनश्याम और बालकृष्ण त्रिपाठी हैं. साथ ही तीन बेटियों के नाम विशाखा, श्यामा और कृष्णा हैं.
34 वर्ष में मिली जगद्गुरु की उपाधि
कृपालु जी महाराज आध्यात्म की ओर बढ़ें और राधा-कृष्ण की भक्ति में तल्लीन हो गए. भक्ति योग पर इनके कथा और प्रवचन सुनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे और धीरे-धीरे इनकी ख्याति देश-विदेश तक फैल गई. वाराणसी की काशी विद्युत परिषद ने मकर सक्रांति के मौके पर 14 जनवरी 1957 को “जगद्गुरु” की उपाधि प्रदान की थी. तब कृपालु जी महाराज की उम्र केवल 34 वर्ष की थी.
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज एक सुप्रसिद्ध हिंदू अध्यात्मिक प्रवचनकर्ता के रूप में जाने जाते थे. अपने प्रवचनों में वे समस्त वेदों, उपनिषदों, पुराणों, गीता, वेदांत सूत्रों आदि के खंड अध्याय आदि समेत संस्कृत मंत्रों की संख्या क्रम तक बताते थे, जो न केवल उनकी विलक्षण स्मरण शक्ति का द्योतक थे बल्कि उनके द्वारा कंठस्थ सारे वेद, ब्राह्मणों, और श्रुतियो ,स्मृतियों विभिन्न ऋषियों और शंकराचार्य जगतगुरुओं द्वारा विरचित टिकाओ आदि पर उनके अधिकार और ज्ञान को भी दर्शाते थे.
प्रेम मंदिर निर्माण
मथुरा के समीप वृंदावन में प्रेम मंदिर का निर्माण कृपालु महाराज द्वारा ही कराया गया है. इस भव्य मंदिर के निर्माण में 11 वर्ष का समय लगा और इसे बनाने में 100 करोड़ की लागत लगी. मंदिर का निर्माण में इटालियन करारा संगमरमर पत्थर से किया गया है. मंदिर को उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया. जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने प्रेम मंदिर का शिलान्यास 14 फरवरी 2001 को किया था और17 फरवरी 2012 को यह मंदिर पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया.
जगद्गुरु कृपालु जी महाराज का निधन
15 नवंबर 2013 को 91 वर्ष की उम्र में कृपालु जी महाराज ने अंतिम सांस ली. प्रतापगढ़ के आश्रम में फिसलने के कारण उनके सिर चोट आई थी, जिसके बाद वे कोमा में चले गए थे. इसके बाद उन्हें गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया,जहां उनका निधन हो गया.
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