Saturday, November 23, 2024

Akbar Birbal Ke Kisse Kuen Ka Pani Moral Story Akbar Birbal Kahani In…

Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi: बादशाह अकबर और बीरबल के किस्से सुनने और पढ़ने में बहुत ही मजेदार होते हैं. बीरबल अकबर के वजीर थे और उनके राज दरबार में नवरत्नों में एक थे. साथ ही बीरबल अकबर के बहुत खास भी थे. अकबर हर समस्या को सुलझाने में बीरबल की सलाह जरूर लेते थे.

एक बार ऐसी ही जटिल समस्या दरबार में आई, जिसके समाधान का जिम्मा अकबर ने बीरबल को सौंपा और बीरबल ने झट से इसका हल निकाल दिया. आज अकबर बीरबल के किस्से में आपको बताएंगे कुएं का पानी की कहानी.

अकबर बीरबल के किस्से: कुएं का पानी

बहुत समय पहले की बात है. बादशाह अकबर के राज्य में किसान रहता था. किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए कुएं की तलाश में था. एक दिन जब वह खेत के आसपास घूम रहा था तो उसे अपने खेत के समीप एक कुआं नजर आया. कुआं दिखते ही किसान खुश हो गया. उसे लगा अब उसकी समस्या दूर हो जाएगी. इसके बाद किसान खुशी-खुशी अपने घर चला गया.

अगले दिन किसान उस कुएं के पास पानी लेने के लिए पहुंच गया. लेकिन जैसे ही उसने कुएं में बाल्टी डाली तो वहां एक आदमी आ गया और किसान से कहा कि यह उसका कुआं है. उसने किसान से कहा कि, तुम मेरे कुएं से पानी नहीं ले सकते हो. अगर तुम्हें कुएं से पानी चाहिए तो तुम्हें कुएं को खरीदना पड़ेगा.

कुआं खरीदने के लिए तय हुई रकम

आदमी की बात सुनकर किसान पहले तो निराश हुआ. लेकिन फिर उसने सोचा कि, अगर मैं यह कुआं खरीद लूं तो पानी की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी और मुझे पानी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. किसान ने कुआं खरीदने के लिए हां कर दी और इसके बाद दोनों के बीच एक रकम भी तय हो गई. लेकिन किसान के पास उतने पैसे नहीं थे. फिर भी किसान ने सोचा मैं एक दिन में किसी तरह इस रकम को जुटा लूंगा. इस तरह से किसान ने आदमी को अगले दिन तय रकम देने का वादा किया और घर चला गया.

कुआं खरीदने के बाद भी नहीं सुलझी समस्या

किसान ने किसी तरह से रकम जुगाड़ की और अगले दिन बिना देर किए कुआं खरीदने चला गया. किसान उस आदमी के घर पहुंचा और उसे तय रकम दे दी. इसके बाद किसान बहुत खुश हो गया और उसने कुएं से पानी निकालने में तनिक भी देरी नहीं की और तुरंत बाल्टी उठा ली. जैसे ही किसान कुएं में बाल्टी डालने जा रहा था, तो आदमी ने फिर उसे रोक दिया और कहने लगा तुम इस कुएं से पानी नहीं निकाल सकते. क्योंकि मैंने तुम्हें सिर्फ अपना कुआं बेचा है कुएं का पानी नहीं. आदमी की बात सुनकर किसान मायूस हो गया और न्याय के लिए बादशाह अकबर के दरबार में गुहार लगाई.

अकबर के दरबार पहुंचा मामला

बादशाह अकबर ने किसान की पूरी बात सुनी और फिर कुआं बेचने वाले आदमी को भी दरबार में बुलाया. बादशाह का फरमान सुनते ही आदमी तुरंत दरबार में हाजिर हुआ. बादशाह ने उससे पूछा, जब तुमने किसान को अपना कुआं तय रकम पर बेच दिया तो इसे पानी क्यों नहीं लेने दे रहे. आदमी ने कहा, महाराज! मैंने तो इसे सिर्फ अपना कुआं बेचा है, कुएं का पानी नहीं. आदमी की बात सुनकर अकबर भी सोच में पड़ गए. उन्होंने कहा, तुम बात को पते की कह रहे हो कि कुआं बेचा है पानी नहीं. जब अकबर काफी देर तक सोच-विचार करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं कर पाए तो उन्होंने बीरबल को बुलाया. क्योंकि अकबर जानते थे कि बीरबल बहुत ही बुद्धिमान है. इसलिए अकबर किसी भी मामले पर फैसला लेने से पहले उसकी राय जरूर लेते थे.

बीरबल ने निकाला समस्या का हल

बीरबल दरबार में आए और दोनों की बात विस्तार से सुनी. बीरबल को तुरंत मामला समझ आ गया और बीरबल ने उस आदमी से कहा ठीक है अगर तुमने कुआं बेचा पानी नहीं तो फिर तुम्हारा पानी किसान के कुएं में क्या कर रहा है? अगर कुआं तुम्हारा नहीं है तो फौरन अपने पानी को कुएं से बाहर निकालो. बीरबल की बात सुनकर वह समझ आ गया कि, बीरबल के आगे उसकी चालाकी नहीं चलने वाली है. उस आदमी ने तुरंत बादशाह से अपनी गलती के लिए माफी मांगी और किसान को कुएं के साथ पानी का भी अधिकार सौंप दिया.
इसके बाद हमेशा की तरह बादशाह अकबर ने एक बार फिर से बीरबल की बुद्धिमानी की तारीफ की और कुआं बेचने वाले आदमी पर धोखेबाजी के लिए जुर्माना भी लगाया.

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