Sunday, November 24, 2024

माता-पिता करते थे फैक्टरी में काम, भारतीय बेटा देगा दुनिया को आंत कैंसर…

<p class="whitespace-pre-wrap" style="text-align: left;">ब्रिटेन में एक भारतीय मूल के प्रतिष्ठित डॉक्टर, टोनी ढिल्लों, ने आंत के कैंसर के इलाज में एक नई उम्मीद जगाई है. इस वैक्सीन के विकास से आंत के कैंसर के इलाज में एक नया अध्याय खुल सकता है. उनका काम न केवल चिकित्सा जगत में एक महत्वपूर्ण योगदान है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक उम्मीद की किरण है जो इस घातक बीमारी से जूझ रहे हैं. उनका यह प्रयास न सिर्फ आंत के कैंसर के इलाज को नई दिशा दे सकता है बल्कि भविष्य में इस बीमारी के प्रति एक नई सोच भी विकसित कर सकता है.</p>
<p class="whitespace-pre-wrap" style="text-align: left;"><strong>जानें कौन हैं डॉक्टर टोनी ढिल्लों<br /></strong>टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार डॉक्टर टोनी ढिल्लों ने आंत के कैंसर की एक नई वैक्सीन पर काम करना शुरू किया है. 53 वर्षीय डॉ. ढिल्लों के दादा पंजाब के जालंधर जिले के एक गांव से 1950 के दशक में ब्रिटेन आए थे और यहां एक ब्राइलक्रीम फैक्ट्री में काम करते थे. डॉ. ढिल्लों रॉयल सरे अस्पताल ट्रस्ट में परामर्शदाता ऑन्कोलॉजिस्ट हैं और ऑन्कोलॉजी में सीनियर लेक्चरर भी हैं. उन्होंने पिछले 5 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर टिम प्राइस के साथ मिलकर आंत के कैंसर की इस वैक्सीन पर काम किया है.&nbsp;</p>
<p class="whitespace-pre-wrap" style="text-align: left;"><strong>15 फीसदी मरीजों को मिल पाएगी इलाज&nbsp;<br /></strong>यह वैक्सीन आंत के कैंसर से पीड़ित सभी मरीजों के लिए नहीं है, बल्कि केवल 15% मरीजों के लिए ही प्रभावी है. सर्जरी से पहले इस वैक्सीन की तीन खुराकें दी जाती हैं ताकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिकाओं को मार सके.&nbsp;डॉ. ढिल्लों का कहना है, "हमारा अनुमान है कि जब मरीज ऑपरेशन के लिए जाएंगे तो उनमें कैंसर की मात्रा बहुत कम रह जाएगी, और कुछ लोगों में तो यह पूरी तरह से खत्म भी हो सकता है. हमें ट्रायल करके इसे साबित करने की जरूरत है, और यही हम करने जा रहे हैं."</p>
<p class="whitespace-pre-wrap" style="text-align: left;"><strong>माता-पिता करते थे फैक्टरी में काम&nbsp;<br /></strong>यह वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया की एक क्लीनिकल-स्टेज इम्युनो-ऑन्कोलॉजी कंपनी इम्यूजीन द्वारा डिज़ाइन की गई है. फेज 2 ट्रायल में 44 मरीज भाग लेंगे. डॉ. ढिल्लों के दादा पहले साउथहॉल में रहते थे, फिर ब्राइलक्रीम फैक्ट्री में काम करने मेडनहेड चले गए. 1960 के दशक की शुरुआत में उनके पिता आए और 1967 में उनकी मां जालंधर के बिलगा से उनके पिता से शादी करने आईं. उनके दोनों माता-पिता फैक्ट्रियों में काम करते थे.&nbsp; डॉ. ढिल्लों का कहना है कि उनके माता-पिता स्कूली शिक्षा नहीं पाए और शायद यह भी नहीं जानते कि वे क्या काम करते हैं. खुद डॉ. ढिल्लों ने मेडिकल स्कूल के लिए यूसीएल में पढ़ाई की, इंपीरियल कॉलेज लंदन से पीएचडी की और ऑक्सफोर्ड से पोस्ट-ग्रेजुएशन किया. वे इस ट्रायल के प्रमुख शोधकर्ता हैं.&nbsp;</p>
<div dir="auto" style="text-align: left;"><strong>ये भी पढ़ें</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: left;"><strong><a title="वैलेंटाइन से पहले तेजी से कम करना है वजन, दिखना है स्लिम ट्रिम, तो 7 दिन करना होगा बस ये काम 8 Photos" href="https://www.abplive.com/photo-gallery/lifestyle/health-fitness-tips-weight-loss-before-valentine-day-in-7-days-with-special-diet-plan-2603008/amp" target="_self">वैलेंटाइन से पहले तेजी से कम करना है वजन, दिखना है स्लिम ट्रिम, तो 7 दिन करना होगा बस ये काम 8</a></strong></div>Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular