उत्तरी ध्रुव, प्रधान मध्याह्न रेखा और दक्षिणी ध्रुव सनातन शास्त्रों के अनुसार
बचपन से हम पढ़ते आ रहे हैं कि भूगोल शास्त्र में जो है नॉर्थ पोल और साउथ पोल के विषय में विज्ञान और भूगोल शास्त्र में. लेकिन क्या आपको पता है नॉर्थ पोल और साउथ पोल का वर्णन जो है हमको सनातन शास्त्रों में भी मिलता है. North pole सुमेरू और South pole कुमेरू नाम से विख्यात है. चलिए अब शास्त्रीय पक्ष पर दृष्टि डालते हैं-
1. सूर्य सिद्धांत अनुसार
मेरोरुभयतो मध्ये ध्रुवतारे नभः स्थिते। निरक्षदेशसंस्थानामुभये क्षितिजाश्रये ।। 43 ।।
अतो नाक्षोच्छ्यस्तासु ध्रुवयोः क्षितिजस्थयोः। नवतिर्लम्बकांशास्तु मेरावक्षांशकास्तथा ।। 44 ।।
अर्थ: मेरु पर्वत के दोनों भागों, अर्थात् सुमेरु (उत्तर ध्रुव प्रदेश) तथा कुमेरु (दक्षिण ध्रुव प्रदेश) में ध्रुव तारा की स्थिति मध्य आकाश (खमध्य अथवा Pime Meridian) में होती है.
2. सूर्य सिद्धांत अनुसार
अनेकरत्ननिचयो जाम्बूनदमयो गिरिः । भूगोलमध्यगो मेरुरुभयत्र विनिर्गतः ।।12.34।।
अर्थ: अनेक रत्नों के समूह से परिपूर्ण जाम्बूनद (स्वर्णनदी) से युक्त भूगोल के मध्य में गया हुआ तथा पृथ्वी के दोनों भाग (उत्तर-दक्षिण) में निकला हुआ मेरु (सुमेरू और कुमेरु) पर्वत है. अगला श्लोक कहता हैं कि “मेरु पर्वत के ऊपरी भाग (उत्तर दिशा) में इन्द्रादि देवता और महर्षिगण रहते हैं. इसी प्रकार अधोभाग (दक्षिण भाग) में असुर लोग रहते हैं जो (देव-असुर) परस्पर द्वेष भाव रखते है”.
3. विज्ञान ने तो हाल ही में इस पर खोज की हैं. लेकिन हमरे ऋषियों ने तो कितने सारे पूर्व वर्षों पहले लिखा था. कुछ और वैज्ञानिक पक्ष शास्त्रों के अनुसार पर भी दृष्टि डालते हैं।
- ऋगवेद सयानाचार्य भाष्य में “Speed of Light” का वर्णन मिलता हैं ऋगवेद १.५०.४ में।
- ऋगवेद १.८४.१५ में “Sunlight on the Moon” वर्णन हैं।
- पेड़ में जीव होता हैं यह वैज्ञानिकों ने १९०१ में सिद्ध किया किंतु यह तो हमरे वेदांत में कितने वर्षों पूर्व मौजूद था। वेदान्त, छान्दोग्य उपनिषद (सामवेद) अनुसार: –
तेषां खल्वेषां भूतानां त्र्यन्येव बीजानि भवन्त्यन्दजं जीवजमुद्भिज्जमिति ॥ 6.3.1||
अर्थ: सजीवों की उत्पत्ति तीन प्रकार से होती है: अंडे से, माता-पिता से और पौधों से।
4. ऋगवेद 1.64.13 में “Rotation of Sun & Sun moves in its orbit” का वर्णन है. ऐसे बहुत सारे वैज्ञानिक प्रमाण अपको सनातन शास्त्रों में मिलेंगे किंतु स्वयं हमारे हिंदू भाई–बहन ही सनातन शास्त्रों को पिछड़ा मानते हैं क्योंकि वे पश्चिमी सभ्यता से ग्रसित हैं और पश्चिमी सभ्यता में सबसे पहले यही बताया जाता है कि सनातन शास्त्र सब पिछड़े हैं और मिथ्यावादी हैं. आप स्वयं देखिए हाल ही में ISRO Chairman ने वेदों का उद्धरण दिया था चंद्रयान 2 से पहले, लेकिन फिर भी लोगो को भरोसा नहीं. मैं सभी अपने भाइयों और बहनों से निवेदन करता हूं कि वह अपने शास्त्र खोले, सत्य अपको स्वयं ज्ञात होगा.
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