Friday, November 29, 2024

Ayodhya Ram Mandir Know Story Of Religious Ancient And Sacred City Of Ram…

Religious city Ayodhya: श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या नगरी में बना भव्य राम मंदिर दुनियाभर में चर्चा में है. मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी. फिलहाल मंदिर की तैयारियां जोरों पर हैं.

अयोध्या नगरी यूं ही खास नहीं है, बल्कि इस नगर से विशेष धार्मिक महत्व भी जुड़े हैं. इसलिए तो अथर्ववेद में इसे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है. सरयू नदी में बसी पवित्र नगरी अयोध्या को स्कंद पुराण में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों की पवित्र स्थली कहा गया है. अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताते हुए इसकी तुलना स्वर्ग से की गई है. वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, अयोध्या का ‘अ’ शब्द ब्रह्मा ‘य’ कार विष्णु और ‘ध’ कार रुद्र का स्वरूप है. वहीं महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अवध को पवित्र नगर बताया है.

अयोध्या की प्रचलित कथा

अयोध्या नगरी के धार्मिक दृष्टिकोण को लेकर एक कथा खूब प्रचलित है. जिसके अनुसार, अयोध्या के महाराज विक्रमादित्य एक बार भ्रमण करते हुए सरयू नदी के पास पहुंचे. उस समय उन्हें अयोध्या की भूमि में कुछ चमत्कार दिखाई दिए. आस-पास के संतों ने महाराज विक्रमादित्य को अवध भूमि की धार्मिक महत्ता के बारे में बताया. इसके बाद विक्रमादित्य ने यहां विभिन्न मंदिरों, सरोवर, कूप आदि का निर्माण कराया.

इसके साथ ही अयोध्या नगरी में एक सीता कुंड भी. मान्यता है कि, इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप कर्मों का नाश होता है. भारत की प्राचीन सांस्कृतिक सप्तपुरियों में अयोध्या का स्थान प्रथम है. अयोध्या को श्रीराम की जन्मभूमि के साथ ही साकेत नगरी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदुओं के साथ ही बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी अयोध्या नगरी का खास धार्मिक महत्व है. आइये जानते हैं श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या कैसे बनी धार्मिक नगरी.

अयोध्या की स्थापना

रामायण के अनुसार, सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्या नगरी की स्थापना सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु द्वारा की गई. वैवस्वत मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व बताया जाता है. ये ब्रह्मा जी के पौत्र कश्यप की संतान थे. इसके बाद मनु के 10 पुत्र हुए जिनमें- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यंत, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे. इक्ष्वाकु कुल में ही भगवान राम का जन्म हुआ था.

कैसे हुआ देवशिल्पी नगर ‘अयोध्या’ का निर्माण

स्कंद पुराण के अनुसार, जिस तरह से काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है. ठीक इसी तरह से अयोध्या विष्णु जी के सुदर्शन चक्र पर बसी है. इसे लेकर एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार, मनु ब्रह्माजी के पास एक नगर निर्माण की योजना लेकर पहुंचे. ब्रह्माजी ने मनु को भगवान विष्णु के पास भेजा. विष्णु जी ने मनु के लिए साकेतधाम का चयन किया. साकेतधाम के निर्माण के लिए ब्रह्मा जी, मनु, भगवान विष्णु, शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा और महर्षि वरिष्ठ गए. भूमि का चयन सरयू नदी के किनारे किया गया और इसके बाद आरंभ हुई देवशिल्पी नगर निर्माण की. इसलिए अयोध्या को साकेत के नाम से भी जाना जाता है. वहीं भगवान राम के जन्म के समय इस नगर को अवध के नाम से जाना जाता था.

अयोध्या नगरी से जुड़ी खास बातें-

  • वाल्मीकि रामायण के 5वें सर्ग के बालकांड में अयोध्या का वर्णन करते हुए कहा गया है कि, अयोध्या 12 योजन लंबी और 3 योजन चौड़ी थी.
  • अयोध्या मंदिर और घाटों की प्रसिद्ध नगरी भी है. यहां के प्रसिद्ध सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट भी हैं. जिसमें- गुप्त द्वार घाट, कैकयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाय, लक्ष्मण घाट आदि हैं.
  • अयोध्या में ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ. इसलिए इसे राम जन्मभूमि कहा जाता है. लेकिन इसी के साथ यहां कई महान योद्धा, ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष भी हुए. जैन मतानुसार, अयोध्या में ही आदिनाथ समेत 5 तीर्थकारों का भी जन्म हुआ था.
  • 12 वीं सदी के आसपास अयोध्या में बड़े पैमाने पर सूफी-संतों के भी रहने का प्रमाण मिलता है.
  • कहा जाता है कि, भगवान श्रीराम जी के समाधि लेने के बाद त्रेतायुग में ही अयोध्या नगरी उजड़ गई थी. तब श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या को फिर से बसाया.
  • कुश द्वारा अयोध्या का पुनर्निर्माण कराने के बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक अयोध्या का अस्तित्व बरकरार रहा. लेकिन महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या फिर से उजाड़ हो गई.
  • इसके बाद अयोध्या मौर्य से लेकर गुप्त, कन्नौज, मुगल शासकों के अधीन रही. 1528 में बाबर के सेनापति मीरबकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई थी.
  • इसके बाद भी अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद नहीं थमा और कई आंदोलन व सांप्रदायिक दंगे हुए. मामला कोर्ट पहुंचा और लंबी लड़ाई के बाद फैसला श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में आया.
  • अब एक बार फिर से पवित्र और धार्मिक नगरी श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ, जिसमें रामलला विराजेंगे. मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी.

ये भी पढ़ें: Ayodhya Ram Mandir: विवाद से लेकर विध्वंस, निर्माण और उद्घाटन तक, जानिए श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या का इतिहास

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