Sunday, November 24, 2024

Tulsidas Jayanti 2023 On 23 August Know Interesting And Important Facts…

Tulsidas Jayanti 2023: हर साल की तरह इस साल भी सावन महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन तुलसीदास जी की जयंती मनाई जाएगी. इस साल यह तिथि बुधवार 23 अगस्त 2023 को पड़ रही है. बता दें कि, इस बार तुलसीदास जी की 526वीं जयंती मनाई जाएगी.

तुलसीदास जी को हिंदी साहित्य का महान संत, कवि और साहित्यकार माना जाता है. इन्होंने हिंदू महाकाव्य महाभारत, हनुमान चालीसा और कई हिंदू धर्म ग्रथों की रचना की. आइये जानते हैं तुलसीदास जी के जीवन से जुड़ी 21 महत्वपूर्ण और रोचक बातें.

  1. तुलसीदास 16वीं सदी के महान संत और कवियों में एक माने जाते हैं.
  2. तुलसीदास ने महाकाव्य श्रीरामचरितमानस, कवितावली, जानकीमंगल, विनयपत्रिका, गीतावली, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण  की रचना की.
  3. गोस्वामी तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हुआ था.
  4. कहा जाता है कि, जन्म लेते ही तुलसीदास जी के मुख से ‘राम’ शब्द निकला था. इसलिए उनका नाम रामबोला रखा गया.
  5. हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत के अनुसार, तुलसीदास का जन्म संवत 1589  में हुआ था. ईस्वी के अनुसार, तुलसीदास का जन्म 1532 और मृत्यु 1632 बताई जाती है.
  6. भविष्य पुराण में तुलसीदास के पिता का नाम श्रीधर बताया गया है और तुलसीदास की माता का नाम हुलसी था.
  7. तुलसीदास का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था और जन्म के बाद उनकी माता की भी मृत्यु हो गई थी.
  8. माता की मृत्यु के कारण लोग उन्हें मनहूस समझने लगे और पिता ने भी इन्हें छोड़ दिया.
  9. इसके बाद एक गरीब महिला तुलसीदास को दूसरे गांव ले गई और इनका लालन-पालन किया. कुछ समय बाद उस महिला की भी मृत्यु हो गई.
  10. कम उम्र में ही तुलसीदास ने अकेले रहना सीख लिया और भिक्षा मांगकर जीवन बिताने लगे.
  11. कहा जाता है कि, एक बार तुलसीदास जब भूख से व्याकुल थे तब मां पार्वती भेष बदलकर उनके घर आई और उन्हें चावल खिलाकर पुत्र के समान पालन पोषण किया.
  12. तुलसीदास पर मां पार्वती और शिवजी की कृपा रही और इस कारण उनका जीवन आगे चला.
  13. पालक के रूप में तुलसीदास को गुरु नरहरिदास मिले, जिन्होंने उनका पालन-पोषण किया और शिक्षा-दीक्षा देकर विद्वान बनाया.
  14. तुलसीदास जब 29 वर्ष के हुए तो इनका विवाह ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी, गुरुवार, संवत् 1583  को रत्नावली नाम की कन्या के साथ हुआ. पत्नी से प्रेम करने के कारण धीरे-धीरे तुलसीदास की राम भक्ति छूटने लगी.
  15. एक बार जब तुलसीदास की पत्नी पीहर गई हुई थी तो, उन्हें पत्नी की बहुत याद सताने लगी. पत्नी का वियोग तुलसीदास से असहनीय होने लगा और उससे मिलने के लिए वे बारिश-तूफान में ही ससुराल पहुंच गए.
  16. पत्नी को तुलसीदास का इस तरह से आना अच्छा नहीं लगा और वो बोली- ‘लाज ना आई आपको दौरे आएहु नाथ, अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति ता। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत बीता।।’
  17. पत्नी के बात का अर्थ था- मेरे इस हाड-मांस के शरीर के प्रति जितनी आपकी आसक्ति है. अगर उसकी आधी भी प्रभु राम के लिए होती तो आपका जीवन संवर जाता.
  18. पत्नी की यह बात सुनकर तुलसीदास को दुख हुआ. लेकिन इसके बाद उनका जीवन बदल गया और वो रामभक्त बन गए. इसके बाद तुलसीदास ने अपना संपूर्ण जीवन राम की भक्ति में समर्पित कर दिया.
  19. तुलसीदास कई स्थानों में भ्रमण करने लगे और लोगों को भगवान राम की महिमा के बारे में बताने लगे.
  20. हनुमाजी की कृपा से तुलसीदास को चित्रकूट घाट पर प्रभु श्रीराम के भी दर्शन हुए.
  21. तुलसीदास ने कई ग्रंथ और कृतियों की रचना की, जिसमें महकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वां स्थान प्राप्त है.

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