Monthly Economic Review: कच्चे तेल की कीमतों में जारी उछाल से सरकार के माथे पर शिकन बढञता जा रहा है. अगस्त महीने में मानसून बारिश में कमी से खरीफ और रबी फसल पर असर देखने को मिल सकता है. वित्त मंत्रालय की डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स ने अगस्त 2023 के लिए जारी मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा जोखिम करार दिया है. मुनाफावसूली के चलते स्टॉक मार्केट में गिरावट का भी रिस्क कायम है.
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बेरोजगारी में कमी से बढ़ी खपत
आर्थिक मामलों के विभाग ने अगस्त 2023 के लिए मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा कि घरेलू मांग में मजबूती और निवेश के चलते वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी 7.8 फीसदी रहा है. मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शहरी इलाकों में बेरोजगारी में कमी से निजी खपत को बढ़ाने में मदद मिली है. खपत के बढ़ने के चलते गुड्स और सर्विसेज की मांग में बढ़ोतरी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक एक्सटर्नल डिमांड ने भी घरेलू ग्रोथ को गति देने में स्टीमुलस साबित हुआ है. पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में एक्सपोर्ट्स का योगदान रहा है.
Ministry of Finance @FinMinIndia releases Monthly Economic Review #MER for August 2023.
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— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 22, 2023
खुदरा महंगाई दर में आई गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त महीने में खुदरा महंगाई में गिरावट देखने को मिली है. जुलाई के मुकाबले अगस्त में कोर और फूड इंफ्लेशन कम हुआ है. सरकार के ड्यूटी में कमी के फैसलों और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते कोर इंफ्लेशन को 40 महीने के निचले लेवल पर लाने में मदद मिली है. अगस्त में खाद्य महंगाई 9.9 फीसदी पर आई है जो जुलाई में 11.31 फीसदी रही थी.
कच्चा तेल में उछाल और बारिश में कमी है बड़ा जोखिम
लेकिन मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कच्चे तेल की कीमतों में जारी उछाल को बड़ा जोखिम करार दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 95 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा है. जो भारत की सिरदर्दी को बढ़ा सकता है. वहीं अगस्त महीने में मानसून में कमी से खरीफ और रबी फसल पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में 2023-24 में 6.5 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान जताते हुए कहा कि राहत की बात ये है कि सितंबर महीने में हुई बारिश ने अगस्त महीने की कमी की भरपाई की है. हालांकि इन जोखिमों के अलावा अच्छी बात ये है कि कॉरपोरेट्स के मुनाफे में बढ़ोतरी से लेकर प्राइवेट सेक्टर में कैपिटल फॉरमेशन, बैंक क्रेडिट ग्रोथ के साथ कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में तेजी आई है.
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