ए ललिता
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Engineer’s Day 2023: हर साल की तरह इस साल भी देशभर में आज यानी कि 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर्स डे मनाया जा रहा है। दरअसल, आज के ही दिन देश के पहले इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया यानी एम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। इंजीनियर्स डे उन्हीं की याद में मनाया जाता है।
उनके मार्ग पर चलकर कई युवाओं ने इंजीनियर बनने का सपना देखा। इन्हीं में अय्योलासोमायाजुला ललिता यानी कि ए ललिता का नाम शामिल है, जो देश की पहली महिला इंजीनियर हैं। उनके बाद से आज के समय में लाखों महिलाएं इंजीनियर बनकर देश का गौरव बढ़ा रही हैं।
आज इंजीनियर्स डे के दिन हम आपको देश की पहली महिला इंजीनियर ए ललिता के बारे में बताने जा रहे हैं, कि उन्होंने कितने संघर्षों के बाद अपने इंजीनियर बनने के सपने को साकार किया। आइए आज इंजीनियर्स डे के मौके पर आपको इनके बारे में बताते हैं।
कम उम्र में हो गई थी शादी
ए ललिता का जन्म 27 अगस्त 1919 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता का नाम पप्पू सुब्बा राव था, जो पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के शिक्षक थे। ललिता सात भाई-बहनों में पांचवें नंबर की संतान थीं। वो समय ऐसा था, जब लड़कियों की पढ़ाई पर ध्यान ना देकर लोग कम उम्र में ही उनकी शादी करा देते थे। कुछ ऐसा ही ए ललिता के साथ हुआ। उन के तीनों भाई तो इंजीनियर थे लेकिन महज 15 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई। उस वक्त उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी।
18 साल में दिया बेटी को जन्म
18 साल की उम्र में ललिता ने बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म के चार महीने बाद ही उनके पति का निधन हो गया। जिसके बाद उनके पास उनकी बच्ची के अलावा कोई सहारा नहीं बचा था। अपनी बेटी की परेशानी देखकर उनके पिता पप्पू सुब्बा राव उन्हें ससुराल से वापस ले आए।
1943 में पूरी की पढ़ाई
बस यहीं से उन्होंने अपनी और अपनी बच्ची की जिंदगी संवारने का कदम उठाया। वो समय ऐसा था, जब इंजीनियरिंग कॉलेजों में लड़कियों के लिए कमरे तक नहीं थे, जिसके बाजवूद परिवार के समर्थन के बाद ललिता ने मद्रास काॅलेज आफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। 1943 में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और वो देश की पहली महिला इंजीनियर बन गईं।
पिता के साथ की रिसर्च
देश की पहली इंजीनियर बनने के बाद उन्होंने सबसे पहले बिहार के जमालपुर में रेलवे वर्कशॉप में काम किया। इसके बाद शिमला के सेंट्रल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया में इंजीनियरिंग असिस्टेंट के पद पर कार्य किया। फिर वो यूके में लंदन के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स से ग्रेजुएट शिप एग्जाम भी देकर अपने पिता के साथ काम में जुट गईं।
इस बड़े प्रोजेक्ट में किया काम
अगर उनके सबसे बड़े कामों की बात करें तो ए ललिता सबसे बड़े भाखड़ा नांगल बांध के लिए जनरेटर प्रोजेक्ट का हिस्सा बनीं। वो ज्यादातर ट्रांसमिशन लाइनों को डिजाइन करने और दूसरे बार प्रोटेक्टिव गीयर, सब स्टेशन लेआउट और कॉन्ट्रैक्ट संभालने का काम करती थीं। 60 साल की उम्र में 1979 में ए ललिता निधन हो गया था। उनके एक हिम्मत भरे कदम की वजह से आज की महिलाएं इंजीनियरिंग करने के लिए कदम बढ़ा पा रही हैं।